जब देखता चलकर बहुत, थक जाता है कोई पथिक पैदल चलने के सिवा नहीं, पास उसके कोई विकल्प जब देखता चलकर बहुत, थक जाता है कोई पथिक पैदल चलने के सिवा नहीं, पास उसके कोई ...
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो
झोपड़ी में रहने वाले साथ-साथ रहते सुख-दुख साझा करते तुम महल वालों के, कमरे होते अलग खुद की जिंदगी... झोपड़ी में रहने वाले साथ-साथ रहते सुख-दुख साझा करते तुम महल वालों के, कमरे होत...
मोमबत्ती की कंपकपाती लौ की तरह, शारीर रह-रह कर, सिहर रहा था, हवा में कांपती.... मोमबत्ती की कंपकपाती लौ की तरह, शारीर रह-रह कर, सिहर रहा था, हवा में कांपती....